Inspirational story of king

 Inspirational story of king in hindi


एक राजा हमेशा अपनी प्रजा की भलाई के बारे में सोचता था। उनको हर प्रकार की सुख-सुविधाएं प्रदान करता था। राजा के काम देख कर प्रजा भी उससे बहुत प्रभावित रहती थी। उसके शासन काल में सभी खुश और सुरक्षित थे। राजा धीरे-धीरे बूढ़ा होने लगा। अंतिम समय निकट आता देख कर एक दिन उसने अपने मंत्री को बुलाया और बोला, मरने के बाद जब मेरे पार्थिव शरीर को श्मशान ले जाओगे, तब मेरा एक हाथ काला तथा दूसरा सफेद कर देना। और दोनों हाथ कफन से बाहर निकाल कर रखना ताकि लोग उन्हें देख सकें।

मंत्री आश्चर्य में पड़ गया, उसने पूछा, महाराज! आप ऐसा करने को क्यों कह रहे हैं? राजा ने सहजता से उत्तर दिया, मेरे खाली हाथों को देख कर प्रजा को यह पता चल जाएगा कि चाहे कोई राजा हो या गरीब, इस दुनिया से कोई भी अपने साथ कुछ नहीं ले जाता। सफेद और काले रंग का अर्थ है हमारे अच्छे और बुरे कर्म। मृत्यु के बाद यदि कुछ रह जाता है, तो वह है उसका काला और सफेद कर्म। इंसान के जीवन में अनेक प्रकार की घटनाएं हमेशा घटित होती रहती हैं। वे हमारे सफलता-असफलता और सुख-दुख का भी कारण बनती हैं। उन घटनाओं पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। हम उन्हें बदल नहीं सकते। जिस पर हमारा कुछ वश है, वह है हमारा कर्म।

कर्म भाग्य नहीं है, लेकिन कर्म से हमारे चरित्र की रचना होती है। यदि हम अच्छाई बोते है, तो अच्छाई काटेंगे। और अगर बुराई बोते हैं तो बुराई काटेंगे, जैसे कोई अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं देता और न कोई बुरा पेड़ अच्छा फल देता है। हर पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है। लोग न तो कंटीली झाड़ियों से अंजीर तोड़ते हैं और न ऊंटकटारों से अंगूर। हम सोचते हैं कि जो घटित हो गया, वह समाप्त हुआ। पर इंसान के द्वारा किया हुए हर कार्य से उसकी प्रतिक्रियाएं जुड़ी होती हैं, जो भविष्य की दिशा निर्धारित करती हैं। कोई कार्य ऐसा नहीं हो सकता, जो अकारण किया गया हो। और ऐसा कोई कार्य नहीं हो सकता जिसके कारण भविष्य में कुछ और न घटित हो।

जीवन में कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है। यह हमें कुशल बनाता है। युवा लोग अपनी किस्मत पर निर्भर नहीं रहते, वे अपने परिश्रम से अपना भविष्य बनाने की कोशिश करते हैं। इसीलिए यौवन को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हम चाहे जिस कुल में भी जन्म लें, हमारी पहचान हमारे कर्मों से ही होती है। इसलिए इंसान अपना कर्म करने से पहले यह सोचे कि मैं बुरा करने जा रहा हूं या भला, क्योंकि उसका परिणाम स्वयं को ही भुगतना होगा। हमारे मन में निरंतर तरह-तरह के विचार उत्पन्न होते रहते हैं। और उन्हीं विचारों के आधार पर हम कर्म करते हैं। और उसी के साथ अपने चरित्र का निर्माण करते हैं।

सकारात्मक कर्म व विचार से हम वर्तमान जीवन और भविष्य को बेहतर बना सकते हैं। अक्सर ज्ञान की कमी के कारण हम अपने जीवन में नकारात्मक कर्म को जन्म देते हैं, जिसे हम पाप कहते हैं। और अच्छे कर्मों से मीठे फलों की प्राप्ति होती है, जिसे हम पुण्य कहते हैं। बाइबिल में यीशु कहते हैं, जो बिना फल की इच्छा किए सत्कर्म करते हैं, वे अपने लिए स्वर्ग में धन इकट्ठा करते हैं। मनुष्य को इससे क्या लाभ होगा, यदि वह सारा संसार को प्राप्त कर ले, परंतु अपनी आत्मा को खो दे? गीता में भी निष्काम कर्म योग की बात कही गई है। आधुनिक दौर में गांधी, लिंकन और मदर टेरेसा जैसे लोग हमारे सामने हैं, जिन्होंने अपने कर्मों से ही अपने जीवन चरित्र की रचना की। असल में जो अपने इस कर्म को पहचान लेते हैं, वहीं लोग ईश्वर की ओर अग्रसर होते हैं।